बुधवार, 28 सितंबर 2011

धन एवं इंसानियत

इस भौतिकवादी समय में आज निश्चित रूप से धन अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान रखता है
परन्तु हमारे जीवन में धन के अलावा कई चीज़े महत्वपूर्ण स्थान रखती है जैसे की इंसान की इंसानियत संवेदनशीलता व्यावहारिकता …. आदि है इस भौतिकवाद समय चक्र
में अपनी भौतिकवाद इच्छाओ की पूर्ति के लिए समाज में कुछ लोग उलटे सीधे तरीके से धन प्राप्त करने का प्रयास करते है . जिसमे इंसान की सोच समझ को हिला दिया है उसमे
दरार सी पड़ गयी है इस दरार में भ्रष्टाचार रूपी बयार इंसान के अन्दर जाकर इंसानियत को हिला रही है जिसका परिणाम यह होता है की आपस में सम्बन्ध टूट रहे है जिसके फलस्वरूप समाज बिखर रहा है पूरा देश एक अजीब कपकपी एवं पीड़ा से गुज़र रहा है आज के परिवेश में जरुरत है एक ऐसे सोच वाले समूह की जो समाज के प्रति संवेदनशील एवं लोगो के प्रति व्यावहारिकता रखता हो वही इंसान भ्रष्टाचार रूपी कोढ़ को समाप्त कर सकता हो अतः हमें कोढ़ रूपी भ्रष्टाचार के जीवाणु को चिन्हित करना होगा उसे जड़ से समाप्त करने का अभियान चलाना होगा जो किसी
एक व्यक्ति से नहीं बल्कि समाज के सभी वर्ग के लोगो में जागरूकता लाना पड़ेगा तभी यह संभव है की एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर सकते है


कृपया आप मेरे विचारों पर अपना मत दे ...

बुधवार, 6 अक्तूबर 2010

मनुष्य की भावनाएं ....

मुझे अपने अनुभव के आधार पर ऐसा महसूस हुआ की किसी भी अभिव्यक्ति को व्यक्त करने के लिए दो भावनाओं का सृजन होता है-

(१) एक तो सामने वाला सुनना चाहता है वह उसी को व्यक्त करता है ।
(२) दूसरी ऐसी भावनाएं उमड़ती हैं जो उसके अन्दर तो चलाती है परन्तु सामाजिक मान्यताओं और परिस्थितियों के कारण वह उसे व्यक्त नहीं कर पाता ।

ये है मेरे विचार, आप बताएं क्या है इस सन्दर्भ में आपके विचार ?

मंगलवार, 5 अक्तूबर 2010

अहिंसा की समझ

सबसे पहला विचार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की अहिंसा के सन्दर्भ में -
अहिंसा हमारे समाज की एकरूपी अवधारना के रूप में दर्ज है । हमसे तमाम लोगों ने इस शब्द से जुड़े एतिहासिक और राजनितिक भ्रम को आत्मसात कर लिया है लेकिन इसके अध्यात्मिक आयाम को छोड़ दिया है । अहिंसा की हमारी राजनितिक समझ निजी या राष्ट्रीय आज़ादी के शांतिपूर्ण विरोध से संवंधित है ।

वास्तव में अहिंसक कार्यवाई के अगुवा महात्मा गांधी अहिंसा की अध्यात्मिक अवधारना से प्रेरित थे । इसे पश्चिम में महज अहिंसा के एकांगी अर्थ के तौर पर गलत समझ लिया गया है । अहिंसा के राजनितिक आयाम से यह अर्थ लिया जाता है कि यह आमतौर पर किसी मकसद के शांतिपूर्ण प्रतिरोध की एक रणनीति है और इस रणनीति के लिए योजना, अनुशासन व् प्रशिक्षण में भारी सावधानी की जरूरत है !

आप बताएं आपके क्या विचार हैं ?