बुधवार, 28 सितंबर 2011

धन एवं इंसानियत

इस भौतिकवादी समय में आज निश्चित रूप से धन अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान रखता है
परन्तु हमारे जीवन में धन के अलावा कई चीज़े महत्वपूर्ण स्थान रखती है जैसे की इंसान की इंसानियत संवेदनशीलता व्यावहारिकता …. आदि है इस भौतिकवाद समय चक्र
में अपनी भौतिकवाद इच्छाओ की पूर्ति के लिए समाज में कुछ लोग उलटे सीधे तरीके से धन प्राप्त करने का प्रयास करते है . जिसमे इंसान की सोच समझ को हिला दिया है उसमे
दरार सी पड़ गयी है इस दरार में भ्रष्टाचार रूपी बयार इंसान के अन्दर जाकर इंसानियत को हिला रही है जिसका परिणाम यह होता है की आपस में सम्बन्ध टूट रहे है जिसके फलस्वरूप समाज बिखर रहा है पूरा देश एक अजीब कपकपी एवं पीड़ा से गुज़र रहा है आज के परिवेश में जरुरत है एक ऐसे सोच वाले समूह की जो समाज के प्रति संवेदनशील एवं लोगो के प्रति व्यावहारिकता रखता हो वही इंसान भ्रष्टाचार रूपी कोढ़ को समाप्त कर सकता हो अतः हमें कोढ़ रूपी भ्रष्टाचार के जीवाणु को चिन्हित करना होगा उसे जड़ से समाप्त करने का अभियान चलाना होगा जो किसी
एक व्यक्ति से नहीं बल्कि समाज के सभी वर्ग के लोगो में जागरूकता लाना पड़ेगा तभी यह संभव है की एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर सकते है


कृपया आप मेरे विचारों पर अपना मत दे ...

6 टिप्‍पणियां:

  1. एक व्यक्ति से नहीं बल्कि समाज के सभी वर्ग के लोगो में जागरूकता लाना पड़ेगा तभी यह संभव है की एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर सकते है...!

    आपने मेरे दिल की बात कह दी,बहुत बढ़िया विचार,निरंतरता बनाए रखें !

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  2. इसमें कोई संदेह नहीं की धन हमारे जीवन का एक अहम् पहलू है. इसके बिना जीवन का पहिया नहीं चल सकता, किन्तु सबकुछ धन ही हो ऐसा नहीं है . यह सवाल इतना पेचीदा है की हम धन और समय में से धन को ही प्राथमिकता की श्रेणी में रखते हैं ....बहुत सुन्दर विचार हैं आपके...चिंतन का यह क्रम जारी रहना चाहिए !

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  3. बहुत खूब, विचार अच्छे है. यदि संभव हो तो वर्ड वेरिफिकेशन हटा दें ...इससे टिपण्णी करने में असुविधा होती है .

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  4. आपके विचारों से सहमति है .....मेरे समझ से भी धन और इंसानियत में इंसानियत सबसे ऊपर होना चाहिए !

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