बुधवार, 6 अक्तूबर 2010

मनुष्य की भावनाएं ....

मुझे अपने अनुभव के आधार पर ऐसा महसूस हुआ की किसी भी अभिव्यक्ति को व्यक्त करने के लिए दो भावनाओं का सृजन होता है-

(१) एक तो सामने वाला सुनना चाहता है वह उसी को व्यक्त करता है ।
(२) दूसरी ऐसी भावनाएं उमड़ती हैं जो उसके अन्दर तो चलाती है परन्तु सामाजिक मान्यताओं और परिस्थितियों के कारण वह उसे व्यक्त नहीं कर पाता ।

ये है मेरे विचार, आप बताएं क्या है इस सन्दर्भ में आपके विचार ?

6 टिप्‍पणियां:

  1. satyata prateet hotee hai mujhe bhi... हिन्दी ब्लॉग की दुनिया में आपका स्वागत है.. निवेदन है कि ऐसे ही शानदार पोस्ट लिखकर हिन्दी की सेवा करते रहिये. शब्द पुष्टिकरण(word verification) हटा लीजिये इससे पाठकों को काफी असुविधा होती है..

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  2. बहुत अच्छे विचार हैं।मैं सहमत हूं।
    - महेश आलोक

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  3. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपने बहुमूल्य विचार व्यक्त करने का कष्ट करें

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  4. इस सुंदर से नए चिट्ठों के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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