इस भौतिकवादी समय में आज निश्चित रूप से धन अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान रखता है
परन्तु हमारे जीवन में धन के अलावा कई चीज़े महत्वपूर्ण स्थान रखती है जैसे की इंसान की इंसानियत संवेदनशीलता व्यावहारिकता …. आदि है इस भौतिकवाद समय चक्र
में अपनी भौतिकवाद इच्छाओ की पूर्ति के लिए समाज में कुछ लोग उलटे सीधे तरीके से धन प्राप्त करने का प्रयास करते है . जिसमे इंसान की सोच समझ को हिला दिया है उसमे
दरार सी पड़ गयी है इस दरार में भ्रष्टाचार रूपी बयार इंसान के अन्दर जाकर इंसानियत को हिला रही है जिसका परिणाम यह होता है की आपस में सम्बन्ध टूट रहे है जिसके फलस्वरूप समाज बिखर रहा है पूरा देश एक अजीब कपकपी एवं पीड़ा से गुज़र रहा है आज के परिवेश में जरुरत है एक ऐसे सोच वाले समूह की जो समाज के प्रति संवेदनशील एवं लोगो के प्रति व्यावहारिकता रखता हो वही इंसान भ्रष्टाचार रूपी कोढ़ को समाप्त कर सकता हो अतः हमें कोढ़ रूपी भ्रष्टाचार के जीवाणु को चिन्हित करना होगा उसे जड़ से समाप्त करने का अभियान चलाना होगा जो किसी
एक व्यक्ति से नहीं बल्कि समाज के सभी वर्ग के लोगो में जागरूकता लाना पड़ेगा तभी यह संभव है की एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर सकते है
परन्तु हमारे जीवन में धन के अलावा कई चीज़े महत्वपूर्ण स्थान रखती है जैसे की इंसान की इंसानियत संवेदनशीलता व्यावहारिकता …. आदि है इस भौतिकवाद समय चक्र
में अपनी भौतिकवाद इच्छाओ की पूर्ति के लिए समाज में कुछ लोग उलटे सीधे तरीके से धन प्राप्त करने का प्रयास करते है . जिसमे इंसान की सोच समझ को हिला दिया है उसमे
दरार सी पड़ गयी है इस दरार में भ्रष्टाचार रूपी बयार इंसान के अन्दर जाकर इंसानियत को हिला रही है जिसका परिणाम यह होता है की आपस में सम्बन्ध टूट रहे है जिसके फलस्वरूप समाज बिखर रहा है पूरा देश एक अजीब कपकपी एवं पीड़ा से गुज़र रहा है आज के परिवेश में जरुरत है एक ऐसे सोच वाले समूह की जो समाज के प्रति संवेदनशील एवं लोगो के प्रति व्यावहारिकता रखता हो वही इंसान भ्रष्टाचार रूपी कोढ़ को समाप्त कर सकता हो अतः हमें कोढ़ रूपी भ्रष्टाचार के जीवाणु को चिन्हित करना होगा उसे जड़ से समाप्त करने का अभियान चलाना होगा जो किसी
एक व्यक्ति से नहीं बल्कि समाज के सभी वर्ग के लोगो में जागरूकता लाना पड़ेगा तभी यह संभव है की एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर सकते है
कृपया आप मेरे विचारों पर अपना मत दे ...